हर रोज पाठ के महत्व

मंगलाचरण हर शुभ कार्य से पहले पढना चाहिये ।

ब्रह्मबेदी के पाठ से निरगुण ब्रह्म की उपासना होती है ।

मूल मंत्र के पाठ से निरगुण ब्रह्म की उपासना होती है ।

सूर्य गायत्री का पाठ करते हुये सूर्य को जल देना चाहिये।

गीता गायत्री से योग क्रियाओ की प्ररेणा मिलती है।

सातों वार की रमैणी के पाठ से ग्रहों की शांति होती है।

सर्व लक्षणा ग्रंथ के पाठ मे मानवीय गुण-अवगुण का वर्ण ण है. जिससे शुभ गुण अपनाने की प्ररेणा मिलती है।

असुर निकन्दन रमैणी का पाठ दोपहर 12 बजे के बाद रात 12 बजे से पहले करना चाहिये। (विधि पूछ कर)

संध्या आरती करने से दिन भर की उपासना पूर्ण होती है।

     

 
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